Panchatantra

पञ्चतन्त्र को भारतीय सभ्यता, संस्कृति, आचार-विचार तथा परंपरा का विशिष्ट ग्रंथ होने के कारण महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जाता है। इस ग्रंथ में छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से धार्मिक, राजनैतिक तथा सामाजिक मूल्यों को बहुत कुशलता से पिरोया गया है। यह ग्रंथ मानव-जीवन में आने वाले सुख-दुःख, हर्ष-विषाद तथा उत्थान-पतन में विशिष्ट मार्गदर्शक सिद्ध हुआ है। इस ग्रंथ का उद्देश्य रोचक कथाओं के माध्यम से बालकों और बालिकाओं को राजनीति और लोक-व्यवहार की शिक्षा देना है।

पञ्चतन्त्र के रचयिता पण्डित विष्णु शर्मा हैं और इसका रचना काल ३०० ईसा पूर्व माना जाता है। मैंने यहाँ आचार्य वादरायण के व्याख्यान का संस्कृत श्लोकों से युक्त सार प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है। उनकी पुस्तक संपूर्ण पञ्चतन्त्र अवश्य पढ़ें। धन्यवाद